Thursday, December 31, 2015

भीम दोहे - डॉ. भीम राव आंबेडकर जी पर आधारित दोहे



नीच समझ जिस भीम को, देते सब दुत्कार |
कलम उठाकर हाथ में, कर गये देश सुधार  ||१||
जांत-पांत के भेद की, तोड़ी हर दीवार |
बहुजन हित में भीम ने, वार दिया परिवार ||२||

पानी-मंदिर दूर थे, मुश्किल कलम-किताब |
दांव लगा जब भीम का, कर दिया सब हिसाब ||३||

ऊँचेपन की होड़ में, नीचे  झुका  पहाड़ |
कदम पड़े जब भीम के, हो गया शुद्ध महाड़ ||४||


पारस ढूँढें भीम को, आँख बहाये नीर |
पढे-लिखे हैं सैंकड़ों, नही भीम सा वीर ||५||

दिल में सब जिंदा रखे, बुद्ध, फुले व कबीर |
छोड़ वेद-पुराण सभी, भीम हुए बलवीर ||६||

झूठ और पाखंड की, सहमी हर दुकान |
भेदभाव से जो परे, रच दिया संविधान ||७||

रोटी-कपड़ा-मकान का, दिया हमें अधिकार |
पूज रहे तुम देवता, भूल गये उपकार ||८||

भेदभाव का विष दिया, सबने कहा अछूत |
जग सारा ये मानता, था वो सच्चा सपूत ||९||

भीम तब दिन-रात जगे, दिया मान-सम्मान |
लाज रखो अब मिशन की,अर्पित कर दो जान ||१०||

_____________
विद्यार्थी चाहे, तो इन दोहों का विद्यालय कार्यक्रमों में सस्वर वाचन कर सकते हैं |
______________________

7 comments:

  1. Fine attempt.Keep up and complete the work.

    ReplyDelete
  2. शुक्रिय...बाबा साहब की अनुकम्पा से मेरे द्वारा लिखे दोहों को साझा करने के लिए...!!
    -©बी.एल.पारस
    गंगानगर (राज.)

    ReplyDelete
  3. Jay bheem and Jay mulniwashi and Jay budhdhay

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छे दोहे आपने लिखे हैं

    ReplyDelete