Tuesday, January 5, 2016

1930 में डॉ. आंबेडकर ने यह कहा था -"अधिक बच्चे पैदा करना एक सामाजिक अपराध है।"


"मानव समाज मूल्यों तथा नियमों से संचालित होता है। समय इन मूल्यों और नियमों का सबसे प्रमुख निर्धारक तत्व होता है। समाज के नियामक जब उच्च मानवीय आदर्शों को दृष्टिगत रखते हुए नियम निर्धारित करते है, तो समाज गतिशील रहता है। इसके विपरीत समाजिक नियमोंके नियामक थोड़े से लोगों के हितों को ध्यान में रखकर नियम बनाते है, तो समाज में जड़ता आती है, शोषण और अन्याय प्रश्रय पाते है। ऐसा समाज अनेकानेक दासताओं की बेड़ियों में जकड जाता है।
-समाज में जब ऐसी विकृति आती है, तो कोई महापुरुष आगे आकर उन विषमताओं पर प्रहार करता है, जो बेडिया बनकर समाज को जकड़े होती है। एक लम्बे संघर्ष में जन-समुदाय ऐसे महामानव का साथ देते है और बेडिया टूटती है। भारतीय समाज में कई सारे कारणों से महिलाओं के साथ असमानता, अन्याय के अमानवीय व्यवहार होते होते रहे है। इसकी हानि सारे समाज को लंबे समय तक उठानी पड़ी।
-आधुनिक युग में इस वैषम्य के विरुद्ध आन्दोलन का एक लंबा दौर चला। इस दौर में समय के प्रवाह को न्याय, समता, एवं विवेक की दिशा में मोड़ने का ऐतिहासिक कार्य डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर जी ने किया। हर महापुरुष के विचारों और उनके सिद्धांतो को एक ही भारतीय संविधान के तहद एकसूत्र में बाँध कर आजीवन सुखी जीने मार्ग दिया। यदि भारतीय संविधान को पुरे सही ढंग से लागू किया जाए तो वो दिन दूर नहीं की भारत भी एक महासत्ता हों। डॉ. आंबेडकर विराट व्यक्तित्व के धनि थे। वह बड़ी दूर की सोचते थे। सन 1930 में उन्होंने यह कहा था -"अधिक बच्चे पैदा करना एक सामाजिक अपराध है।" यह वह युग था, जब अधिकाँश संतानों का होना बड़े सौभाग्य की बात मानी जाती थी। परिवार नियोजन की बात कोई सोच भी नहीं सकता था। सन 1951 में बाबासाहाब ने काहा था "इस भारत के सारे नदियों को एकसाथ आपस में जोड़ना होगा ताकि भारत के कही राज्यों में जो कभी सुखा पड़ता है तो कहीं और सभसे ज्यादा बाढ़ आती है इसे रोका जा सकता है और सभी राज्यों को इस प्रकल्प के तहेद आजीवन पानी की परिशानियोंसे छुटकारा मिल सकता है। ऐसी दुरद्रिष्ठी थी बाबासाहब में। ऐसे उनके उचे विचार तथा उचे संघर्ष और जीवनी को याद कर उनके सोच और दिखाए हुवे मार्ग पर चलकर ही हम अपने पुरे भारत का माहासत्ता होना संभव बना सकते है।
-तो आइये सभी साथ मिलकर बाबासाहाब के इस मिशन को पूरा करने में अपना भी कुछ हिसा और समय समाज को दे।"
-जय भीम नमो बुद्धाय जय भारत-😊👍🏻



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