Monday, January 4, 2016

देश के करंसी नोटों में आंबेडकर और विवेकानंद की एंट्री


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देश के करंसी नोटों में आंबेडकर और विवेकानंद की एंट्री?

इकनॉमिक टाइम्स | Dec 31, 2015, 05.45AM IST

रवीश तिवारी, नई दिल्ली

अगर एक ऐकडेमिक और पॉलिसी एक्सपर्ट के प्रस्ताव को सत्ता के गलियारों का समर्थन मिलता है, तो देश के करंसी नोटों पर महात्मा गांधी के अलावा भीमराव आंबेडकर और स्वामी विवेकानंद की तस्वीरें भी छपेंगी। जिस एक्सपर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह प्रस्ताव भेजा है, वह कभी सोनिया गांधी की अगुवाई वाली नैशनल अडवाइजरी काउंसिल के मेंबर हुआ करते थे। 

करंसी नोटों पर किसकी फोटो छपे, यह हाई लेवल पॉलिसी और गहन विचार-विमर्श का मसला है। 1996 से अब तक सभी नोटों पर सिर्फ महात्मा गांधी की तस्वीर छपती है। इसमें बदलाव अहम और बुनियादी कदम होगा। नैशनल अडवाइजर काउंसिल (एनएसी) और खत्म हो चुके प्लानिंग कमिशन के मेंबर रह चुके नरेंद्र जाधव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह सुझाव दिया है। जाधव आंबेडकर की 125वीं जयंती समारोह के लिए प्रधानमंत्री की अगुवाई में बनी नैशनल कमिटी के छह गैर-सरकारी सदस्यों में से एक हैं।

यह प्रस्ताव स्वीकार हुआ तो भारतीय करंसी पर गांधी के अलावा आंबेडकर और विवेकानंद भी नजर आएंगे।

जाधव ने अपने इस सुझाव की पुष्टि भी की है। उन्होंने बताया, 'मैंने कमिटी की पहली बैठक के दौरान प्रधानमंत्री को यह सुझाव दिया। मैंने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन की करंसी में कई शख्सियतों की तस्वीरें रहती हैं और भारत में भी ऐसा किया जा सकता है। हमारे नोट पर कई और महानुभावों खासतौर पर भीमराव आंबेडकर और स्वामी विवेकानंद की तस्वीर हो सकती है।' उनका कहना है कि उनके सुझाव को पूरी स्वीकार्यता मिलेगा या नहीं, यह तो आने वाले वक्त ही बताएगा, लेकिन हाल में सरकार ने आंबेडकर की याद में सिक्का जारी किया है। 

एनएसी के इस पूर्व मेंबर की दलील है कि आंबेडकर बेहतरीन मौद्रिक अर्थशास्त्री थे और रिजर्व बैंक की स्थापना में उनका बौद्धिक योगदान अहम है। उन्होंने कहा, 'इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय नोटों पर आंबेडकर की मौजूदगी बेहतर कदम होगा।' जाधव ने आंबेडकर पर काफी काम किया है और वह कभी कांग्रेस नेताओं के करीबी माने जाते थे। वह एनएसी के एकमात्र ऐसे मेंबर हैं, जिसे बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार में अहम रोल मिला। 

बीजेपी भी आंबेडकर की विरासत को लेकर काफी सक्रिय रही है। स्वामी विवेकानंद की विरासत भी राजनीतिक लड़ाइयों के केंद्र में रही है। बीजेपी और संघ की दलील है कि स्वामी की विरासत पर फिर से जोर देने की जरूरत है, जबकि बीजेपी के आलोचकों का मानना है कि यह पार्टी और संघ परिवार के बड़े राजनीतिक प्लान का हिस्सा है। 1996 से पहले रुपये के नोटों पर गांधी के अलावा अशोक स्तंभ की भी तस्वीर रहती थी।

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