Saturday, January 16, 2016

दीनाभाना ने बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती cancel करने पर आवाज उठायी तो

१९६३ के आस पास की बात है
पुना पेशवा(ब्राह्मण) का बिल मे वाल्मिकी समाज के दीनाभाना ने बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती cancel करने पर आवाज उठायी तो ordinance factory के प्रबंधन वो भी पेशवे (ब्राह्मण) ने उन्हे निलंबीत किया पर वो इसके खिलाफ लडना चाहते थे पर जेब मे पैसे नही थे
तब research & explosive department मे काम करने वाले पंजाब से आये युवक नाम कांशीराम ने दीनाभाना की मदद की 
वो दोनो वकील के पास गये पर फीस सुनकर दीनाभाना बोले चलते है पर कांशीराम साहब ने अपने जेब से पैसे निकाल कर वकील की फीस दे दी पर कांशीराम साहब एक पढे लिखे व्यकती थे पर विशेषता ये थी कि वो chemistry की बारीकी जानते थे being a chemistry graduate in b.sc सो लग गये analysis करने दीनाभाना राजस्थान के बाबासाहेब महाराष्ट्र के मै पंजाब का पर सब एक दुसरे से जुडे है 
ये बावला नौकरी दाव पर लगाकर लडने मरने मारने पर तुला है क्योकि बंदे मे स्वाभीमान है 
मै दीनाभाना के साथ खडा हु क्योकि मुझमे भी स्वाभीमान है और यहा पुना मे हजारो महार कर्मचारियो मे भी स्वाभीमान है यानि Total करे तो सबमे स्वाभीमान self respect है Mahar + dinabhana + kanshiram = self respect 
But self respect =Dr ambedkar
अब कांशीराम साहब के अंदर ये curiosity जाग गयी थी कि ये जो कुछ हो रहा है वो सब self respect = Dr Ambedkar की वजह से हो रहा है मतलब बाबासाहेब को पढ लो सब कारण automatic समझ आ जायेगे Court case के दौरान employee खापर्डे साहब मिले ( जिनके साथ मिलकर आगे " बामसेफ " का गठन हुआ ) तब उन्होने कांशीराम साहब को Anhilation of caste पढने दी साहब ने वो किताब रात मे कई बार पढ डाली और अगली सुबह जो व्यकती था वो अब govt of India का employee ना होकर आंबेडकरी मिशन का एक मिशनरी कार्यकता था क्या होता अगर साहब Dr Ambedkar की किताब नही पडते 
तो ना बामसेफ होती 
ना बसपा होती 
ना मंडल कमीशन होता 
ना आंबेडकरवाद होता 
ईतना अनर्थ एक किताब ने किया 
ईसलिए ये लोग बाबासाहेब की किताबो को ईतना विरोध करते है
डर है कोई और कांशीराम ना पैदा हो जाये

जय मुलनिवासी जय भारत

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