Monday, February 8, 2016

चमत्कार गढ़े जाते हैं, क्योंकि मूढ़ो को प्रभावित करने का और कोई उपाय नहीं

चमत्कार गढ़े जाते हैं, क्योंकि मूढ़ो को प्रभावित करने का और कोई उपाय नहीं। 🎆
बंगाल में एक बंगाली बाबा बहुत प्रसिद्ध थे, क्योंकि की उन्होने एक दफे चमत्कार दिखाया। ऐसे लोगो की भीड़ लग गई होगी। चमत्कार उन्होंने यह दिखायी कि वे ट्रेन में सवार हुए, टिकट कलेक्टर आया, उसने पुछा की टिकट दिखाइए। उन्होंने कहा कि शब्द अपने वापस ले लो। हम फकीरों से कोई टिकट नही मांग सकता। टिकट कलेक्टर भी गुस्से में आ गया। अंग्रेजों के जमाने की बात है। अंग्रेज रहा होगा। उसने कहाः'इस तरह बदतमीजी की बात नहीं चलेगी। बाबा हो अपने घर के। यह सरकारी रेलगाड़ी है। टिकट के बिना अंदर नहीं चलने दूंगा। बाबा भी गुस्से में आ गये। 'बाबा ने कहा देखूं मुझे कौन चलने से रोकता है। बात चड़ गयी। बात मैं बात निकली। उस अंग्रेज कंडेकटर ने उसको धक्का देकर बाहर निकल दिया। बाबा नीचे उतर गए, लेकिन अपना डंडा टेक कर खडे़ हो गए और कहा कि देखो यह गाड़ी कैसे चलती है! इंच भर सरक जाए! अब गार्ड झंडी दिखा रहा है और ड्राइवर सब तरह की कोशिश कर रहा है,सीटी पर सीटी बज रही है, मगर गाड़ी टस से मस नही हो रही। तहलका मच गया। पुरे स्टेशन की भीड़ इकठ्ठी हौ गयी, सारे यात्री इकठ्ठे हो गए। बंगाली बाबा ने गजब कर दिया, गाड़ी रोक दी! ड्राइवर कहे :में चकित हुं, इंजन में कुछ खराबी नहीं है। सब ठीक है चलता नहीं।'स्टेशन मास्टर दौड़ा फिर रहा है, आफिसर भागे फिर रहे हैं, मगर कोई उपाय नहीं। आखिर स्टेशन मास्टर ने कहा टिकट कलेक्टर को की भैया माफी मांग लो और बाबा को कहो कि आप विराजो अंदर और गाड़ी चलने दो। लोगों को हजार कामो पर जाना है। अब लोग मेरी जान खा रे है कोई कहता है अदालत जाना है, कोई कहता है मुझे दफ्तर जाना है और यह गाड़ी तब तक रुकी रहेगी? पहले तो आनाकानी की टिकिट कलेक्टर ने, लेकिन जब देखा कि मारपीट की नौबत खड़ी हो गई है,भीड़ इकठ्ठी हो गयी, भीड़ ने कहा :'पिटाई कर देंगे! हमारे साधु महाराज का तुमने अपमान किया है। माफी मांगो जबरदस्ती माफी मंगवायी। लेकिन बंगाली बाबा ने कहा कि पहले नारियल लाओ। जब तक नारियल नहीं चढ़ेगा, बाबा भी नहीं गाड़ी नहीं चढ़ेगा। जल्दी भागा - भाग की गई, कहीं से नारियल लाया गया। नारियल, मिठाई, फूल चरणों में चढ़ाएं। कहा :' मांगो माफी! पैर छुऔ! और आइंदा ख्याल रखना, कभी किसी फकीर को टिकट मत पूछना। पूछेंगे टिकट, खतरा हो जाएगा 'फिर बाबा गाड़ी में प्रविष्ट हुए और गाड़ी चली। ये बंगाली बाबा ईमानदार आदमी थे। जिन्दगी भर लोग उनसे पूछते रहे की राज क्या था, आपने किस तरकीब से गाड़ी रोक दी? मरते वकत उन्होंने कहा :अब तो मै मर ही रहा हु, अब सच्ची बात बता दूं। सच बात यह है कि टिकिट कलेक्टर, गार्ड और ड्राइवर तीनों को मेने रिश्वत दी थी। ये तीनों मेरे आदमी थे और फिर गाड़ी रुकने में क्या दिक्कत है और एक दफे यह चमत्कार दिखाना था, दिखा दिया कि सारे बंगाल में शौहरत फैल गई, हजारों - हजारों लाखों लोग आते थे बंगाली बाबा के दर्शन करने। तुम जिसको चमत्कार कहते हो वे चमत्कार वगैरह कुछ नहीं होते:उस सब के पीछे हिसाब होते हैं, गणित होते हैं। ओशो

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