Wednesday, February 24, 2016

गुरू रैदास की हत्या

आम मान्यता के अनुसार, 
गुरू रैदास 100 वर्षो से भी ज्यादा समय तक जीवित रहे, 
अतः प्रश्न यह उठता है कि उन्होने सम्पूर्ण जीवनकाल में क्या मात्र 41 पद ही रच पायें । यह बात पूर्णत अविश्वसनीय लगता है कि, ऐसा माना जाता है कि गुरू नानक जब गुरू रैदास से मिले तब वे 41 पद को उनकी हत्या से पूर्व ही अपने साथ ले गये जिसका संकलन लगभग 150 वर्षो बाद '' गुरू ग्रन्थ साहिबा '' मे किया गया ।
प्रश्‍न यह उठता है कि शेष बाणियाँ कहा गई । माननीय चन्द्रिका प्रसाद का मानना है की गुरू रैदास की हत्या करके उनकी चिता मे उनकी समस्त बाणीया उनके शरीर के साथ आग की भेंट चढा दी गई । अगर उनकी हत्या नही की गई होती तो उनकी बाणीया अवश्य मिलती ।
प्रश्‍न यह भी है की यह नीच काम किसने किया, सीधा सा उत्तर है ऐसा काम उन्ही लोगों ने किया जिन्होंने उनके शरीर से ''जनेऊ'' निकाले थे । यह ब्राह्मणो व सामंतो ने बड़ी चतुराई से मिलकर एक षडयन्त्र के तहत जनेऊ दिखाने के बहाने उनके शरीर को राणा विक्रम सिंह चितोड़गढ़ के भरे दरबार मे गुरू रैदास का सीना चीर कर उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी और उनके पार्थिव शरीर को मेघवालों कि बस्ती मे भिजवा दिया गया, और यह कहलवा कर कि तुम्हारे गुरू ने भीतर का जनेऊ दिखाकर सभी को चकित कर दिया और स्वेच्छा से शरीर छोड़ दिया है ।
Jaago Bahujan Jaago

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