Saturday, November 26, 2016

आरक्षण की समीक्षा

[10/20, 10:51 AM] ‪+91 92001 42243‬: आजकल जहाँ भी दो चार जनरल केटेगरी वाले इक्कठे बैठते हैं वहाँ एक ही चर्चा होती है कि इस आरक्षण ने देश को बर्बाद कर दिया है, अब तो सभी बराबर हो गए हैं कोई जातिवाद नहीं है इसलिए अब इस आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए।

अफशोस की बात यह की हमारे कई नेता भी बोलने लगे हैं कि आरक्षण की समीक्षा होती है तो क्या बुरा है।

जिन लोगों को सब कुछ ठीक ठाक लग रहा है और कहीं भी जातिवाद नजर नहीं आता है उनको आह्वान किया जाता है कि आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जातिवाद दिखाता हूँ।

आओ चलें ईंट भट्ठों पर और देखो वहाँ जो ईंट पाथ रहें हैं या पक्की हुई ईंटों की निकासी कर रहे हैं जिनमें पुरुषों के साथ साथ उतनी ही संख्या में महिलाएं भी दिखाई दे रही हैं उनमें ब्राह्मण, राजपूत और बणिया कितने हैं ?

इसका जवाब यही होगा कि इनमें तो उन समाजों का एक भी व्यक्ति नहीं है तो फिर यह जातिवाद नहीं है तो फिर क्या है ?

अब आगे चलो मेरे साथ शहरों की गलियों में और ध्यान से देखो जो महिलाएं सड़कों पर झाड़ू लगा रही हैं और गंदी नालियाँ साफ कर रही हैं उनमें कितनी ब्राह्मणी, ठुकराईंन और सेठाणी जी दिखाई दे रही हैं ?

यहाँ भी वही जवाब की इनमे तो ब्राह्मणी, ठुकराएंन और सेठाणी एक भी नहीं है तो यह जातिवाद नहीं है क्या ?

अब आओ चलते हैं रेलवे स्टेशन, हमारे देश में कई हजारों की संख्या में रेलवे स्टेशन बने हुए हैं वहाँ जो रेलवे लाइनो पर शौच के ढेर के ढेर लगे हुए रहते हैं उनको रातों रात साफ करने के लिए पंडित जी आता है या सिंह साहब या फिर शाहूकार जी सेवा देते हैं।

इसका भी वही जवाब मिलेगा की उनमे से तो एक भी नहीं आता है तो फिर क्या यह जातिवाद नहीं है ?

अब रूख करते हैं भवन निर्माण कार्य करने वाले मिस्त्री और मजदूरों की ओर, जो पूरे दिन अपना हाथ चलाते रहते हैं जिन्हें मिस्त्री कहते हैं और जो पूरे दिन सिर पर काठड़ी ढोने में लगे रहते हैं उन्हें मजदूर कहा जाता है वैसे वे मजदूर नहीं बल्कि मजबूर हैं क्योंकि 50 डिग्री तापमान में कोई कूलर की हवा खा रहा होता है तो कोई ऐ सी में मौज कर रहा होता है उस वक्त भी ये लोग तेज गर्मी और लू के थपेड़े खा रहे होते हैं, अब इनमे भी नजर दौड़ाते हैं तो उनकी संख्या नदारद मिलती है तो क्या यह जातिवाद नहीं है क्या ?

अब अपना ध्यान जगह जगह बोरी बिछाकर बैठे हुए उन लोगों की ओर लेकर जाओ जो जूता पॉलिश करते हैं या जूतों की मरमत करते हैं उनमें पंडित जी और उनके साथियों की भागीदारी कितनी है, जवाब मिलेगा बिलकुल शून्य, तो पूरा का पूरा तो जातिवाद भरा पड़ा है ।

अब आजाओ बाजारों की ओर चारों ओर जो बड़े बड़े मॉल और बड़ी बड़ी दुकाने दिखाई दे रही है उनका मालिक कोई एस सी समाज वाला भी है या नहीं ?

यहाँ एकदम से ही पासा पलट गया है अब यहां एस सी का एक भी बन्दा नजर नहीं आएगा और सभी पर ब्राह्मण और बनिया व राजपूत का कब्जा मिलेगा।

अब सभी मिलकर सोचो कि क्या यह जातिवाद नही है ?

बिलकुल यह खुलं खुला जातिवाद हैं।

अब मंदिरों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहना चाहता हूँ कि मंदिरों में कितने पुजारी ब्राह्मण के अलावा देखने को मिलते हैं, शायद एक भी नहीं । क्या इसे आप जातिवाद नहीँ समझते हो।

आज भी हर कदम पर जातिवाद का जहर भरा हुआ है और लोग कहते हैं कि अब कोई जातिवाद नहीं है अब आरक्षण खत्म कर दिया जाना चाहिए।

आरक्षण होते हुए भी उच्च पदों पर हमारे समाज के लोगों को पहुंचने से रोका जाता है यदि जिस दिन आरक्षण खत्म हो जायेगा उस दिन से तो जातिवाद और अधिक पढ़ जायेगा ।
इसलिये जो ऐसी बात करता है उसे कहो कि आओ मेरे साथ तुम्हेँ जातिवाद दिखाता हूँ ।

.....भारत में 3% ब्राह्मण .....
**********************
3% लोगों का हिस्सा देखिये....

लोकसभा में ब्राह्मण : 48 %
राज्यसभा में ब्राह्मण : 36 %
ब्राह्मण राज्यपाल : 50 %
कैबिनेट सचिव : 53 %
मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 64%
अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 62%
पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 70%
यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण वाईस
चांसलर : 61%
सुप्रीम कोर्ट में ब्राह्मण जज: 85%
हाई कोर्ट में ब्राह्मण जज : 70 %
भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 51%
पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :
केंद्रीय : 67%
राज्य : 82 %

बैंक में ब्राह्मण : 67 %
एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 61%
IAS ब्राह्मण : 72%
IPS ब्राह्मण : 61%
टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%
CBI Custom ब्राह्मण 72%
यदि हमारा आरक्षण गलत है और उसका सवर्णों के द्वारा विरोध किया जाता है! तो ये क्या है इसका विरोध आज तक किसी ने क्यो नही किया गया ? कहाँ छुपे हैं आरक्षण विरोधी लोग।
एससी-एसटी और ओबीसी को जो आरक्षण मिला है वह जनसंख्या के अनुपातिक आधार पर मिला है जिसके तहत SC & ST को 22.5% नौकरी और राजनीति में मिला है।ओबीसी की जनसंख्या 60%है जबकि आरक्षण केवल 27%मिला है । निम्न सारणी पर ध्यान दें ।
जनसंख्या आरक्षण प्रतिशत
एस सी 15 % 15 %
एस टी 7.5 % 7.5 %
ओबीसी 60 % 27 %
_______________________

योग 85 % 49.5% _______________________
अाज 60% ओबीसी समाज को 69 वर्षों में केवल 5% ही भर सका है।
SC, ST, OBC, MINORITY's जनसंख्या 85% और आरक्षण 49.5%
General castes जनसंख्या
15% और आरक्षण 50.5%
अब इस आंकड़ा को देख कर बताइए की वास्तविक में आरक्षण कौन ले रहा है? कुल मिला कर इस देश में मनुवादी ब्यवस्था आज भी कायम है। इसे कायम रखने वाले यहाँ की मनुवादी सरकारें है। जिन्होंने बारी बारी इस देश में 70 सालों तक राज किया । और अपनी ब्यवस्था को कायम रखने के लिए अपनी कूटनीति के तहत हमें आपस में लडाते रहते हैं और हमारे आरक्षण का विरोध करते हैं ताकि उनको मिल रही आरक्षण की ओर हमारा ध्यान ना जा सके। पर दुःख की बात तो यह है कि हमारे अपने ही लोग ढाल बन कर इनका साथ देते हैं जिसे मै अज्ञानी और मुर्ख के अलावा और कुछ नही कह सकता है।
: 👉 *मायावती ने मात्र 600 करोड़ में भारत के संविधान निर्माता का स्मारक _"अम्बेडकर पार्क"_ क्या बनाया पूरा मीडिया और विरोधी दिन रात  चिल्लाते रहे*।

1.जबकि कारीगर भी भारतीय थे।
2.रोजगार भी भारतीयों को मिला।
3.मैटेरियल भी भारत का ही था।
4.निर्माण शैली भी भारतीय  ही थी।
5.राज्य सरकार को स्मारक से राजस्व भी मिला।

गर्व से हम कह सकते हैं, *भारतीयों द्वारा*, *भारत में    निर्मित*

👉 *जबकि BJP सरकार 2500 करोड़ की सरदार पटेल की मूर्ति लगवा रही है वो भी _"मेड इन चीन"_*

1.जिस चीन ने आतंकवाद पर भारत का विरोध किया।
2.जो चीन आतंकवाद पर पाकिस्तान के साथ खड़ा है।
3.जिस चीन ने भारत के लिए पानी बन्द कर किया
4.जो चीन हमारे देश की जमीन हडपे हुए है।
5.जो चीन बात बात पर भारत को आंखे दिखाता है।

*तो उस चीन को इतना बडा आर्थिक लाभ क्यूँ*?

*लेकिन इस पर सारा मीडिया*, *पूरा देश खामोश है।*

*तो ऐसे में देश की जनता  चीनी सामान के बहिष्कार को कैसे गम्भीरता से लें*?

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