Saturday, November 26, 2016

जनसंख्या के अनुपात में कितना कोटा भरा गया है-सुप्रीम कोर्ट

शिवराज सिंह को सुप्रीम कोर्ट में जनसंख्या के अनुपात में कितना कोटा भरा गया है,कितना खाली है,यह आंकड़ा कोर्ट में प्रस्तुत करना था,जिसका बेस बनाकर कोर्ट निर्णय रिजर्वेशन के पक्ष में देता,।अब केवल बात इतनी हो रही है,वर्तमान हमारे अधिकारियो को प्रमोशन मिला है,बस उसका डिमोशन न हो,अधिकारियो में यह भावना पैदा की जा रही है,की आप यह आंदोलन न करो ,बस हम कोर्ट से निवेदन करके आपका डिमोशन रुकवा देते है,।बल्कि होना तो यह चाहिए,जब इतना सारा बैकलॉग खली पड़ा है,तो प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा गौण हो जाता है,।सर्कार कुल मिलाकर गुमराह करने में लगी है,यह एक युद्ध का नियम है,की आश्वासन देकर खुश करो ,लोगो की प्रतिक्रांति की भावना ख़त्म हो जाती है,औ र वे सत्ता के समर्थक हो जाते है,।कानून बनाने का काम जब विधायिका के पास है,तब कोर्ट के बार बार चक्कर लगाने की क्या जरूरत है,कुछ स्टेट में 69% तक आरक्षण है,फिर mp में 50% सीमा क्यों,क्योकि कोर्ट के कुछ संविधान के अगेंस्ट डिसीजन के कारण हमारे लोग गुमराह हुए है,52% ओबीसी को 27% रिजर्वेशन,वोह भी mp में 14% है,क्रीमीलेयर लगाकर कोर्ट में एजुकेशनल और सोशल बैक वल्ड को,आर्टिकल 340 के बेस को ख़त्म किया,बाबासाहेब को यह मालूम था की,सवर्ण ओबीसी को बेवकूफ बना सकते है,इसलिए ऊनोने सोशल और एजुकेशनल शब्द का संविधान के आर्टिकल में प्रयोग किया।वर्ण व्यवस्था का बेस आर्थिक नहीं है,सामाजिक है,शुद्र वर्ण में ओबीसी को रखा था,फिर शूद्र को शिक्षा की पाबन्दी थी,अंग्रेज आने के पहले सम्पूर्ण ओबीसी अनपढ़ था,वही  बात sc st के साथ थी,इसलिये शैक्षणिक बेस रखा गया।,अब रिजर्वेशन ,।जनसंख्या के अनुपात में ,प्रतिनिधित्व ही रिजर्वेशन है,ब्रामण हमारा प्रतिनिधि कैसे हो सकता है,?न्यायपालिका,कार्यपालिका, विधायिका,मीडिया,इसमे हमारे प्रतिनिधित्व की भूमिका हो,।आज हम देखते है,हमारे पोस्ट पे सवर्ण क्यों,न्यायपालिका में सवर्ण क्यों,?चुनाव में हमारे रिज़र्व सीट पर सवर्ण की मतदान की क्या जरूरत,?मीडिया में हमारे प्रतिनिधि क्यों नहीं?,लोकतंत्र के नामपर जो हमारे लोगो के साथ खिलवाड़ हो रहा है,मूलनिवादी vs विदेशी यह मुद्दा है,हिन्दू धर्म का ढांचा बामनो ने मूलनिवासी vs विदेसी के रूप में तैयार किया है,तीन वर्ण के पुरुष अधिकार संपन्न ,बाकि सभी महिलाएं और सभी पुरुष अधिकार विहीन,जो सभी महिलाएं और पुरुष अधिकार विहीन है,उनको समानता के लेवल पर लाने की लढाई ही आजादी की लढाई है।यह बात हमको ध्यान में रखनी होगी।मूल बेस यदि हम नहीं जानते तो हमारी दिशा गलत होगी,।यह हमको ध्यान रखना होगा,।जय भीम,जय मूलनिवासी,🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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